हरिद्वार। शरद पूर्णिमा पर देश के कई प्रातों से आए लाखों श्रद्धालुओं ने रविवार को हरकी पैड़ी ब्रह्म कुंड समेत गंगा के विभिन्न घाटों पर स्नान कर पुण्य अर्जित किया। गंगा बंदी होने के बाद भी लोगों ने गंगा में स्नान किया। हालांकि डुबकी लगाने लायक गंेगा में जल न होने के कारण लोगों ने बर्तनों में जल भरकर स्नान किया। गंगा स्नान के लिए प्रातः से ही श्रद्धालुओं का गंगा के तटों पर आना शुरू हो गया था। गंगा बंदी होने के कारण काफी संख्या में लोगों ने नीलधारा में भी डुबकी लगाई। स्नान के पश्चात श्रद्धालुओं ने देव दर्शन कर दान-पुण्य आदि कर्म किए। इस दौरान तीर्थनगरी के आश्रम-अखाड़ों में भी कई प्रकार के धार्मिक आयोजन किए गए।
शरद पूर्णिमा स्नान पर्व पर रविवार को श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। पूर्णिमा स्नान पर्व को देखते हुए प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। भीड़भाड़ वाले स्थानों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैना किया गया था। पुलिस ने भीड़ को देखते हुए यातायात व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए भी कदम उठाए थे, किन्तु भीड़ के कारण आज फिर लोगों को परेशानी उठानी पड़ी। भीड़ के कारण सड़कों पर वाहन रेंगकर चलने के लिए मजबूर हुए। यातायात व्यवस्था सुचारू बनाए रखने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा संपूर्ण और सोलह कलाओं से युक्त होता है। इस दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और स्वास्थ्य तीनों प्रदान करती है। प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्री कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था। उन्होंने बताया कि आज ही के दिन वृदांवन में भगवान श्री कृष्ण ने महारास का आयोजन किया था। बताया की शरद पूर्णिमा का धार्मिक ही नहीं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्व है। बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन रात्री के समय स्नान करके गाय के दूध में घी मिलाकर खीर बनायें। खीर को भगवान को अर्पित करें। रात्रि में खीर को चन्द्रमा की चांदनी में रखे और प्रातः काल उसका सेवन करें। ऐसा करने से नेत्र ज्योति, बुद्धि व बल का विकास होता है। बताया कि सूर्योदय के पूर्व खीर का सेवन करना अत्यधिक उत्तम होता है।