वैलेंटाइन डेः पुण्यतिथि को प्रेम के इजहार के दिवस के रूप में मनाते लोग

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हरिद्वार। जब व्यक्ति अपनी उन्नत संस्कृति को छोड़ पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ने लगता है तो उसका पतन निश्चित रूप से होता है। जब वह बिना की जानकारी के पाश्चात्य संस्कृति के पर्व और त्यौहारों को अपनाने लगे तो सोचिए क्या होगा। फिर तो अनर्थ होना स्वाभाहरिद्वार। जब व्यक्ति अपनी उन्नत संस्कृति को छोड़ पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ने लगता है तो उसका पतन निश्चिविक है। ऐसा ही हम भारत में वेलेंटाइन डे मनाकर कर रहें है। वेलेंटाइन क्या है और यह क्यो मनाया जाता है, इससे अधिकांश लोग अनभिय है। तो आपकी जानकारी के लिए हम वेलेंटाइन के संबंध में आपको बताते हैं।
यूरोप और अमेरिका का समाज जो है वो बांदी (रखैलों) में विश्वास करता है पत्नियों में नहीं। यूरोप और अमेरिका में आपको शायद ही ऐसा कोई पुरुष या मिहला मिले जिसकी एक शादी हुई हो, जिनका एक पुरुष से या एक स्त्री से सम्बन्ध रहा हो और ये एक दो नहीं हजारों साल की उनके यहां परम्परा है।
पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक खुद प्लेटो का एक स्त्री से सम्बन्ध नहीं रहा। प्लेटो ने लिखा है कि मेरा 20-22 स्त्रियों से सम्बन्ध रहा है। अरस्तु ने भी यही कहा है। देकाते ने भी यही कहा, और रूसो ने तो अपनी आत्मकथा में लिखा है कि एक स्त्री के साथ रहना, ये तो कभी संभव ही नहीं हो सकता। तो वहां एक पत्नि जैसा कुछ होता नहीं। और इन सभी महान दार्शनिकों का तो कहना है कि स्त्री में तो आत्मा ही नहीं होती। स्त्री तो मेज और कुर्सी के समान हैं, जब पुराने से मन भर गया तो पुराना हटा के नया ले आये। बीच-बीच में यूरोप में कुछ-कुछ ऐसे लोग निकले जिन्होंने इन बातों का विरोध किया और इन रहन-सहन की व्यवस्थाओं पर कड़ी टिप्पणी की। उन कुछ लोगों में से एक ऐसे ही यूरोपियन व्यक्ति थे जो आज से लगभग 1500 साल पहले पैदा हुए, उनका नाम था वैलेंटाइन।
वैलेंटाइन नाम के महापुरुष का कहना था कि हम लोग (यूरोप के लोग) जो शारीरिक सम्बन्ध रखते हैं कुत्तों की तरह से, जानवरों की तरह से, ये अच्छा नहीं है, इससे सेक्स-जनित रोग होते हैं, इनको सुधारो, एक पति-एक पत्नी के साथ रहो, विवाह कर के रहो, शारीरिक संबंधो को उसके बाद ही शुरू करो। ऐसी-ऐसी बातें वो करते थे और वो वैलेंटाइन उन सभी लोगों को ये सब सिखाते थे, बताते थे, जो उनके पास आते थे। रोम में घूम-घूम कर रोज उनका भाषण यही चलता था।
बताया कि संयोग से वैलेंटाइन चर्च के पादरी हो गए तो चर्च में आने वाले हर व्यक्ति को यही बताते थे। तो लोग उनसे पूछते थे कि ये वायरस आप में कहां से घुस गया। ये तो हमारे यूरोप में कहीं नहीं है। तो वो कहते थे कि आजकल मैं भारतीय सभ्यता और दशर्न का अध्ययन कर रहा हूँ, और मुझे लगता है कि वो परफेक्ट है, और इसिलए मैं चाहता हूँ कि आप लोग इसे मानो, तो कुछ लोग उनकी बात को मानते थे, तो जो लोग उनकी बात को मानते थे। उनकी शादियां वो चर्च में कराते थे और एक-दो नहीं उन्होंने सैकड़ों शादियां करवाई थी।
श्री शास्त्री के मुताबिक जिस समय वैलेंटाइन हुए, उस समय रोम का राजा था क्लौड़ीयस। क्लौड़ीयस ने कहा कि वैलेंटाइन हमारे यूरोप की परंपरा को बिगाड़ रहा है। हम बिना शादी के रहने वाले लोग हैं। मौज-मजे में डूबे रहने वाले लोग हैं, और ये शादियाँ करवाता फिर रहा है। ये तो अपसंस्कृति फैला रहा है। हमारी संस्कृति को नष्ट कर रहा है। क्लौड़ीयस ने वैलेंटाइन को पकड़ कर लाने का आदेश दिया।
दरबार में लाए जाने पर क्लौड़ीयस ने वैलेंटाइन से कहा कि ये तुम क्या गलत काम कर रहे हो ? तुम अधम फैला रहे हो, अपसंस्कृति ला रहे हो। तो वैलेंटाइन ने कहा कि मुझे लगता है कि ये ठीक है। क्लौड़ीयस ने उसकी एक बात न सुनी और उसने वैलेंटाइन को फांसी की सजा दे दी। आरोप क्या था कि वो बच्चों की शादियां कराते थे। मतलब शादी करना जुर्म था। क्लौड़ीयस ने उन सभी बच्चों को बुलाया, जिनकी शादी वैलेंटाइन ने करवाई थी और उन सभी के सामने वैलेंटाइन को 14 फरवरी 498 ईःवी को फांसी दे दी।
श्री शास्त्री ने बताया कि पूरे यूरोप में 1950 ईःवी तक खुले मैदान में, सावर्जानिक तौर पर फांसी देने की परंपरा थी। तो जिन बच्चों ने वैलेंटाइन के कहने पर शादी की थी वो बहुत दुखी हुए और उन सब ने उस वैलेंटाइन की दुखद याद में 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाना शुरू किया। उस दिन से यूरोप में वैलेंटाइन डे मनाया जाता है। मतलब ये हुआ कि वैलेंटाइन, जो कि यूरोप में शादियाँ करवाते फिरते थे, चूकी राजा ने उनको फाँसी की सजा दे दी, तो उनकी याद में वैलेंटाइन डे मनाया जाता है।
श्री शास्त्री के मुताबिक अब यही वैलेंटाइन डे भारत आ गया है। जहां शादी होना एकदम सामान्य बात है। यहां तो कोई बिना शादी के घूमता हो तो अद्भुत या अचरज लगे लेकिन यूरोप में शादी होना ही सबसे असामान्य बात है। अब ये वैलेंटाइन डे हमारे स्कूलों में कॉलजों में आ गया है और बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। यहां के लड़के-लडि़कयां बिना सोचे-समझे एक दुसरे को वैलेंटाइन डे का कार्ड दे रहे हैं। और जो कार्ड होता है उसमे लिखा होता है वूड यू बी माूय वेलेंनटाइन जिसका मतलब होता है क्या आप मुझसे शादी करेंगे। मतलब तो किसी को मालूम होता नहीं है, वो समझते हैं कि जिससे हम प्यार करते हैं। उन्हें ये कार्ड देना चाहिए तो वो इसी कार्ड को अपने मम्मी-पापा को भी दे देते हैं। दादा-दादी को भी दे देते हैं और एक दो नहीं दस-बीस लोगों को ये ही कार्ड वो दे देते हैं।
और इस धंधे में बड़ी-बड़ी कंपिनयां लग गयी हैं जिनको कार्ड बेचना है, जिनको गिफ्ट बेचना है, जिनको चाकलेट बेचनी हैं और टेलीविजन चैनल वालों ने इसका धुंआधार प्रचार कर दिया। ये सब लिखने के पीछे का उद्देश्य यही है कि नकल आप करें तो उसमें अकल भी लगा लिया करें। उनके यहां साधारणतया शादियां नहीं होती है और जो शादी करते हैं वो वैलेंटाइन डे मनाते हैं लेकिन हम भारत में क्यों ?

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