जल संरक्षण के प्रयासों को जनमानस तक पहुंचना जरूरी डाॅ. बत्रा

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महाविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 28 को
हरिद्वार।
आज सम्पूर्ण विश्व समुदाय जल संकट की गम्भीर समस्या से जूझ रहा है। जहां एक ओर प्रदूषण के चलते सतही जल पीने योग्य नहीं रह गया है, वहीं दूसरी ओर बढ़ती जनसंख्या व अतिदोहन के कारण भूमिगत जल के स्तर मंे भी अत्यधिक कमी आयी है। देश के अधिकांश क्षेत्रों में भूमिगत जल पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। उक्त विचार एसएमजेएन पी.जी. काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील बत्रा ने शुक्रवार को जल संरक्षण के महत्व को बताते हुए व्यक्त किये।
डाॅ. बत्रा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इस समस्या के प्रति सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं ने जागरुकता दिखायी है। इन संस्थाओं द्वारा जल संरक्षण के लिए नई तकनीकों का विकास भी किया जा रहा है और जल संरक्षण के लिए विभिन्न प्रयास भी किये जा रहे हैं, परन्तु इन सभी प्रयासों का परिणाम तभी सम्भव है जब इन्हें जन मानस तक पहुंचाया जाये और जल संरक्षण में जन भागीदारी सुनिश्चित की जाये।
बताया कि 28 दिसम्बर, 2019 को महाविद्यालय में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है जिसमें उत्तराखण्ड राज्य के विशेष सन्दर्भ में जल संरक्षण के लिए किये जा रहे प्रयासों व तकनीकों से जागरुक किया जायेगा।
संगोष्ठी के समन्वयक डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने बताया कि संगोष्ठी में विभिन्न तकनीकि सत्र चलाये जायेंगे जिसमें विशेषज्ञ नई तकनीकि की जानकारी देंगे।
राष्ट्रीय कार्यशाला के संरक्षक श्रीमहन्त लखन गिरि, मुख्य सलाहकार श्री महन्त रविन्द्र पुरी ने कार्यशाला के आयोजकों को इस ज्वलंत विषय पर संगोष्ठी आयोजित करने के लिए साधुवाद दिया। कार्यशाला के अन्य सलाहकार डाॅ. नरेश कुमार गर्ग, डाॅ. मन मोहन गुप्ता, डाॅ. सरस्वती पाठक, डाॅ. तेजवीर सिंह तोमर, डाॅ. जगदीश चन्द्र आर्य, डाॅ. नलिनी जैन, विनय थपलियाल, डाॅ. सुषमा नयाल ने भी इस कार्यशाला के आयोजन पर हर्ष व्यक्त किया।

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