आरएनआई इंटर कॉलेज में “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाई गई नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती

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रुड़की। आरएनआई इंटर कॉलेज भगवानपुर में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती ‘पराक्रम दिवस’ के रुप में हर्षोल्लास से मनाई गई। देश के अमर सपूत व महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चन्द्र बोस का स्मरण कर उनके चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किये गये। कॉलेज सभागार में हुये कार्यक्रम में प्रधानाचर्य एवं राज्य पुरस्कार से सम्मानित अशोक कुमार रतूड़ी ने कहा कि 23 जनवरी 1897 को कटक में पं. जानकी नाथ बोस व प्रभावती को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। सम्पत्र बंगाली परिवार में पैदा होने के कारण उच्च शिक्षा बोस ने इंग्लैण्ड में प्राप्त की। भारतीय प्रशासनिक सेवा में चौथा स्थान प्राप्त करने का गौरव सुभाष बोस को मिला। लेकिन अंग्रेजों की गुलामी भरी नौकरी को भी उन्होंने तिलांजति देकर उन्होंने क्रांति के द्वारा देश को आजाद कराने का बीड़ा उठाया। बोस ने बर्मा में देश को अंग्रेजों की तानाशाही से मुक्ति के लिए आजाद हिन्द फौज का गठन कर एक नया नारा दिया कि ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’। रा.से.यो. के काय्रक्रम अधिकारी ऋषिपाल सिंह ने कहा कि आजाद हिन्दू फौज ने अनेक नगर अंग्रेजों से सशस्त्र क्रांति से छीन लिये। गुप्त मिशन के लिए जाते हुए सुभाष चन्द्र बोस का विमान 18 अगस्त 1945 को ताईवान के सागर में दुर्घटना का शिकार हो गया। प्रवक्ता अशोक सैनी ने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस का व्यक्तित्व ऐसा था कि आज भी लोग उनकी मौत को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। राजीव सैनी ने बोस को याद करते हुए कहा कि वैचारिक मतभेद होने के बावजूद भी बोस महात्मा गांध्ी का बड़ा सम्मान करते थे। राजेश आर्य, शर्मिला नागर, आराधना बिष्ट, सारिका सैनी ने भी सुभाष बोस को अप्रतिम योद्धा, देश का महान सपूत, क्रांतिकारी तथा सफल साहित्यकार बताया। इस अवसर पर नवीप शरण, अलका शर्मा, आलोक कण्डवाल, रश्मि कण्डवाल, गीता बंसल, ललित गर्ग, आशीष शर्मा, नीरज शर्मा, अनुज सैनी, चन्दन आदि ने भी सुभाष चन्द्र बोस को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये।

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